आजादी-आजादी के ये कैसे नारे!
भीलवाड़ा। आजाद भारत में अब फिर से आजादी-आजादी के नारे गूंजने लगे हैं। अब किस तरह की आजादी की मांग की जा रही है, इसे लेकर कई तरह के सवाल और संशय पैदा हो रहे हैं लेकिन अभी इस मामले में कोई गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। नारे तो ऐसे लगाए जा रहे हैं जैसे अभी वे गुलाम देश में रह रहे हैं।
आजादी से पहले जिस तरह आजादी के लिए नारे नहीं लगे थे, उससे बढ़-चढ़कर आजाद भारत में अब आजादी-आजादी के नारे कुछ समय से सुनाई दे रहे हैं। पुलिस से भी आजादी चाहिए और नेताओं से भी। कुछ कानूनों को गुलामी का प्रतीक बताया जा रहा है।
लोगों में चर्चा होने लगी है कि देश में इस तरह की चिंगारी आजादी के नाम पर भड़काई जा रही है जो देशहित में नहीं है। प्रदर्शन की आजादी है, भारत के लोकतंत्र में लेकिन सब कुछ लोकतंत्र की आड में लोकतंत्र को ही ठेस पहुंचाने की कार्यवाही हो रही है।
पिछले कुछ समय से शक्ति प्रदर्शनों का दौर चल रहा है और एक के बाद एक प्रदर्शन बढ़ते जा रहे हैं लेकिन इन प्रदर्शनों के दौरान जो नारेबाजी हो रही है वह आग में घी का काम कर रही है और यह देशहित में कतई नहीं हो सकती। वोटों के लिए नेता चुप्पी साध सकते हैं लेकिन ऐसी चुप्पी देश के लिए ठीक नहीं है।
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