गर्भवती के पेट पर भीड़ ने मारी थी लात, बच्चे का जन्म हुआ तो मां ने यह कहा
दिल्ली से पूरे सप्ताह मौत, बरबादी, खूनखराबा, मारपीट, लूटपाट, आगजनी की खबरें सामने आती रही हैं लेकिन इन सब मायूस कर देने वाली और मानवता को झकझोर देने वाली घटनाओं के बीच एक अच्छी और राहत भरी खबर भी आई है। मौतों के तांडव के बीच एक नई जिंदगी ने आकार लिया है। उन्मादी भीड़ से घिर जाने और पीटे जाने के बाद एक महिला ने सफलतापूर्वक नवजात शिशु को जन्म दिया है। भीड़ ने उसके पेट पर लात मारी थी। लेकिन इतनी वीभत्स वारदात पर जिंदगी के जज्बे की जीत हुई। राजधानी में अराजकता की तपिश के बीच यह खबर ठंडी हवा के झोंके की तरह सामने आई है।
यह घटना northeast Delhi में Karawal Nagar की है। 30 वर्षीय इस महिला के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। राजधानी में फैले दंगों के बीच वह और उसका पति घिर गए थे। उन पर हिंसक भीड़ टूट पड़ी थी। दोनों के साथ बुरी तरह मारपीट की गई। जुल्म की इंतेहा तब हो गई जब उन्मादी भीड़ ने गर्भवती महिला के पेट पर लातें मारीं।
उनका घर जला दिया गया। ऐसे में इस दंपती के पास कोई उम्मीद नहीं बची थी। आखिर महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया है और दोनों पति-पत्नी इसे miracle baby यानी चमत्कारिक शिशु कह रहे हैं। इस बच्चे से उन्हें अब ढेरों उम्मीदें हैं।
यह हुआ था उस रात
सोमवार की रात यह महिला अपने पति, दो बच्चों और सास के साथ घर के भीतर सो रही थी। तभी अचानक भीड़ उनके घर में घुस आई। महिला की सास ने बताया कि भीड़ ने नारेबाजी की। बेटे को पीटा। उनमें से कुछ ने बहू के पेट पर लात भी मारी। जब मैं उसे बचाने दौड़ी तो मुझे भी पीटा गया। हमें लगा कि आज की रात हम बच नहीं पाएंगे। लेकिन ऊपर वाले की मेहरबानी है कि हम किसी तरह उन लोगों के चंगुल से बच निकले।
इसके बाद हम बहू को निकट के अस्पताल ले गए लेकिन डॉक्टर्स ने हमें वहां से दूसरे अस्पताल जाने को कहा। हम तुरंत दूसरे अस्पताल गए, जहां बहू को प्रसव हुआ और उसने बुधवार को एक बेटे को जन्म दिया। यह क्या कम हैरत की बात है कि बीस साल पुराना घर और वहां के आसपास के सारे पहचान के लोगों को खो देने के बाद आखिर सुकून का एक कतरा तो नसीब हुआ। यह परिवार इसी को अब अपना सब कुछ मान रहा है और गम की इस घड़ी में भी खुशियों के कुछ पल मिल गए हैं।
अस्पताल से छूटकर कहां जाएंगे, घर तो जल चुका
सबसे बड़ा संकट यह था कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद आखिर कहां जाएंगे। बहू और बच्चे को कहां ले जाएंगे। घर तो खाक हो चुका। सब कुछ खत्म हो गया। हो सकता है अब कुछ समय के लिए किसी रिश्तेदार के घर शरण लें और उसके बाद मौका मिला तो फिर से जीवन की शुरुआत नए सिरे से कर सकें।
6 वर्षीय बालक शिशु का माथा चूमकर बोला, मैं रखूंगा इसका ख्याल
इस परिवार का 6 वर्षीय बालक अपने एक दिन की उम्र के छोटे भाई का माथा प्यार से चूमता है और कहता है मैं हमेशा इसका ख्याल रखूंगा और इसे हर तकलीफ से बचाउंगा।
दिल्ली का अब तक का हाल
पूर्वोत्तर दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून की हिंसा ने अब तक 38 लोगों की जान ले ली है और 200 से अधिक लोग घायल हो गए हैं। उन्मादी भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पंप को आग लगा दी और स्थानीय लोगों और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया है। हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में मुख्य रूप से जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, यमुना विहार, भजनपुरा, चांद बाग और शिव विहार शामिल हैं।
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