खबर का असर: मृत बता बंद कर दी वृद्धावस्था पेंशन, कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश
भीलवाड़ा। राज्य सरकार तो भले ही प्रदेश के लोगों के लिए कई योजनाएं चलाती है और उनकी सफलता के दावे भी करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के भीलवाड़ा कार्यालय में बिना जांच जीवित वृद्धजनों को मृत बताकर उनकी पेंशन बंद कर दी गई। पेंशन के पात्र वृद्धों के कार्यालय में आने पर भी उनसे जीवित होने का प्रमाणपत्र जमा कराने को कहा जाता है। कलेक्टे्रट के चक्कर काट रहे वृद्धजनों को अधिकारियों के न मिलने, जल्दी चालू कर देंगे या बाद में आना कहकर टरका दिया जाता है। इस संबंध में भीलवाड़ा हलचल में समाचार प्रसारित होने के 40 मिनट बाद ही विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने एसडीएम व नगर परिषद आयुक्त को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दी है वहीं जिला कलेक्टर ने एक्शन लेते हुए इसकी जांच के आदेश दे दिए हैं।
केस-1
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बैरवा बस्ती, पुर निवासी मांगी (61) पत्नी केशु प्रजापत की एप्लीकेशन संख्या आरजे-एस-04338708 है। उन्हें जून 2013 से वृद्धावस्था पेंशन मिल रही थी, जो नवंबर 2019 के बाद बंद हो गई। एक महीने तो मांगी ने देर-सवेर मानकर धैर्य रखा। दूसरे महीने भी पेंशन खाते में नहीं आई तो मांगी ई-मित्र पर पहुंची। जानकारी में जो बात सामने आई, उससे वे खुद आश्चर्यचकित रह गई, कारण वे रिकॉर्ड में मृत बताई गई। मांगी ने बताया कि पेंशन नहीं मिलने से उन्हें इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी उन्हें मृत घोषित कर देने से हुई है। वह जीवित है और खुद कलेक्ट्रेट पहुंची लेकिन अधिकारी नहीं मिले। ऐसे में मांगी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मांगी ने कहा कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है। कागज-दस्तावेज में नहीं समझती।
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