घर से बाहर निकलने वालों की जान पड़ सकती है जोखिम में

 
बांगड़ अस्पताल से फैले कोरोना वायरस बम पर काबू पाने के लिए सरकार और चिकित्सा महकमा जी जान से जुटा है, लेकिन वायरस की जद में आने वाले लोग समझ नहीं पा रहे हैं और अब भी लापरवाह बने है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक आमजन से अपील कर चुके हैं कि वे अपने और अपने परिवार के लिए घर में रहे, लेकिन लोग है कि मानते ही नहीं। 
पुलिस ने आज सख्ती भी दिखाई। यह सख्ती शहर के मुख्य मार्गों पर तो नजर आई, लेकिन कुछ खास लोगों के मोहल्ले और गलियों में कुछ अलग ही नजारा दिखाई दे रहा है। वहां कफ्र्यू का भी कोई महत्व शायद लोग नहीं समझ रहे हैं। या तो उन्हें मालूम नहीं वायरसी बम के बारे में या फिर वे इसे मजाक समझ रहे हैं। यह मजाक उनके लिए ही नहीं, बल्कि उनके परिवार के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। बुधवार को बांगड़ अस्पताल के 2 कर्मचारी और दो मरिज पॉजीटिव आये हैं। इनमें एक युवती वह भी बताई जा रही है जिसके पिता की मौत सबसे पहले हुई है, लेकिन उनकी मौत का कारण अंतिम संस्कार के साथ ही दफन हो गया था। जबकि एक अन्य चिकित्साकर्मी और दो पॉजीटिव मरिजों के करीब 3 दर्जन परिजनों को भी क्वारेंटाइन किया  गया है। यानि पॉजीटिव मरिजों का पूरा परिवार चिकित्सकों की निगरानी में है। इसका मतलब यह है कि आस-पास के क्षेत्र में इस संक्रमण की जद में न आये। 
आज शहर की शाम की सब्जी मंडी क्षेत्र में रहने वाले लोगों में भी हड़कंप मच गया, जब इन चार पॉजीटिव मरिजों में से एक क्षेत्र का निकला। प्रशासन ने पूरे इलाके को सील कर दिया है और इलाके में दवाओं का छिड़काव करवाया। रायला, नाथडिय़ास और संजय कॉलोनी में भी ऐसी ही स्थिति नजर आई है। अगर लोग अब भी नहीं चेते तो उनके गली-मोहल्लों की हालत भी ऐसी हो सकती है। पुलिस ने ऐसी स्थिति से बचाने के लिए आज बेवजह सड़क पर घूम रहे लोगों को मूर्गा बनाकर सबक सिखाने का प्रयास भी किया है, लेकिन पुराने शहर, सांगानेरी गेट, सांगानेर कस्बे, गांधीनगर और धांधोलाई और बाहरी इलाकों में पुलिस को देखकर लोग घरों में छिप जाते हैं, लेकिन गश्ती पुलिस के लौटने के साथ ही ये लोग दुबारा घरों से निकल कर सड़कों पर उतर आते हैं और ये ही मामला प्रशासन के लिए सिरदर्द बन रहा है। लोग अपनी जान की परवाह नहीं कर रहे हैं, जबकि कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक लोगों से बार-बार घरों में रहकर अपनी और अपने परिवार को सुरक्षित रखने की अपील कर चुके हैं। 
प्रशासन के सामने कई दिक्कतें हैं। जहां लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी गई है, वहीं चिकित्सा व्यवस्था करना, उनके खाने-पीने की वस्तुयें जुटाना और घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था करना और आने वाले दिनों में क्या कुछ हो सकता है, इसकी तैयारी करना उनके लिए बड़ी चुनौती बनी है और यह सबकुछ वे शहर वासियों के लिए कर रहे हैं, लेकिन लोग घरों से निकलने में परहेज नहीं कर पा रहे हैं। अगर ये ही हालात रहे तो प्रशासन की यह व्यवस्थायें ऐसे लोगों और उनके परिवारों के लिए नाकाफी होगी और उनकी अपनी लापरवाही...?


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