कोरोना वायरस-गुजरात से लौटने का साधन नहीं मिला तो पैदल ही चल पड़े मुसीबत के ...
भीलवाड़ा हलचल। कोरोना वायरस की चपेट में लगभग पूरा देश आ चुका है। देशभर में बढ़ती संक्रमित मरिजों की संख्या के चलते केंद्र सरकार ने देशभर में 21 दिन का लॉकआउट कर दिया। एक और कोरोना वायरस का डर तो दूसरी और काम-धंधे बंद होने से आमजन चिंतित है। सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है, जो भीलवाड़ा जिले से कमाने-खाने गुजरात सहित अन्य प्रदेशों में हैं। एक और कोरोना का डर सता रहा है तो दूसरी और खाने -पीने का संकट खड़ा होने से ऐसे लोग मुसीबत में हैं। ट्रेनों, बसों यहां तक की टैक्सी वाहनों के बंद होने और सीमायें सील होने से ये लोग खासे परेशान हैं। साधन न मिलने के कारण ऐसे लोग गुजरात से पैदल ही भीलवाड़ा रवाना हुये हैं, जबकि कई लोग वहां फंसे हैं और सुरक्षित घर पहुंचने के लिए सरकार से मांग कर रहें हैं।
आपकों बता दें कि भीलवाड़ा जिले के गंगापुर, रायपुर, करेड़ा, बागौर, मांडल, आसींद, बदनौर, शंभुगढ़ के साथ ही अन्य कई इलाकों के लोग महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना जैसे अन्य प्रदेशों में आइस्क्रीम का व्यवसाय करते हैं, जबकि कई लोग अन्य काम व मजदूरी कर अपना व परिवार का गुजर-बसर करते हैं। कोरोना वायरस फैलने के बाद केंद्र सरकार ने देशभर में 21 दिन का लॉक आउट घोषित कर दिया। इसके चलते ट्रेनें, बसें व टैक्सी सहित यातायात के सभी साधन बंद कर दिये गये। काम-धंधे बंद हो गये। ऐसे में इन प्रदेशों में काम-धंधे के लिए गये भीलवाड़ा के ग्रामीणों के सामने रोजी-रोटी का संकट तो आ खड़ा हुआ है, साथ ही कोरोना वायरस को लेकर भी इन लोगों में दहशत है। ऐसे ही कुछ लोगों ने दूरभाष पर भीलवाड़ा हलचल को बताया कि इन परेशानियों के चलते गुजरात से कई लोग साधन नहीं मिलने से पैदल ही भीलवाड़ा के लिए रवाना हो चुके हैं, जबकि कुछ लोग अभी भी वहीं फंसे हैं। इन लोगों का कहना है कि वे, दिनभर चलकर सफर तय करते हैं और रात होते ही सुरक्षित जगह देखकर सो जाते हैं। सुबह होने पर वे फिर अपना सफर तय करने निकल पड़ते हैं।
आपकों बता दें कि लॉक डाउन की घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा था कि जो लोग जहां हैं, वहीं रहे। इसके चलते सरकारी तंत्र भी ऐसे लोगों की कोई मदद नहीं कर पा रहा है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें