प्रकृति को नजरअंदाज करने की कीमत है कोरोना महामारी

भीलवाड़ा। हर क्षेत्र में प्रकृति के नियमों की अनदेखी की जा रही है इसका परिणाम है कि कोरोना जैसी घातक जानलेवा बीमारियां विश्व महामारी के रूप में फेल कर समूची मानव जाति के लिए संकट खड़ा कर चुकी है।


विश्व वानिकी दिवस पर पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि हमें केवल मनुष्य की ही नहीं अपितु पेड़ पौधों और पशु पक्षियों का भी संरक्षण करना चाहिए। जाजू ने कहा कि ज्यादातर लोग स्वार्थी हो गए हैं, वर्तमान संकट हमें यह सिखाता है कि प्रकृति को नजरअंदाज करने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ रही है।


जाजू ने आगे कहा कि इंसान द्वारा प्रकृति को नियंत्रित कर केवल अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनों को दोहन करने से ही कोरोना जैसा संकट सामने है। हम सभी को कुदरत के अनुपम उपहार प्रकृति का सम्मान करना चाहिए ताकि कोरोना जैसे और आने वाले संकटों से बचा जा सके।


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