इटली और अमेरिका के भयावह दृश्य देखने के बाद भी नहीं रहे भीलवाड़ा वासी सावधान तो...
भीलवाड़ा हलचल। 50 दिन बाद सोमवार को कफ्र्यू में फिर ढील दी जा रही है और क्षेत्रवार बाजार खुलेंगे। लोग घरों से तो निकलेंगे, लेकिन उन्हें अब कोरोना संग जीने की आदत डालने की जरुरत होगी और इसका पालन भी स्वैच्छा से करना होगा अन्यथा वे अपनी ही जान के दुश्मन नहीं, बल्कि अपने परिवार और संगी साथियों के लिए भी खतरनाक होंगे।
कोरोना वायरस के चलते पिछले पचास दिनों से भीलवाड़ा के लोग घरों में कैद है। वे, बाहर निकलने के लिए बैचेन है, लेकिन उन्हें इस बैचेनी को काबू में करना होगा और कोरोना से बचना है तो उन्हें वे सारी सावधानियां बरतनी होगी, जो सरकार बता रही है। बाजार में निकलने से पहले उन्हें कई तैयारियां करनी पड़ेगी और बाजार में भी एहतियात बरतना होगा। घर से निकलने के साथ मुहं पर मास्क तो जरुरी होगा ही साथ ही दुपहिया पर अब दूसरी सवारी नजर नहीं आयेगी। हालांकि इस बार छूट के दौरान चौपहिया वाहन बाजार में नहीं ले जाये जा सकेंगे।
जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट लोगों को बार-बार सरकारी गाइड लाइन के अनुसार आगाह कर रहे हैं कि बाजार में वे सोशल डिस्टेंस का पालन करें। मुहं पर मास्क लगायें। कहीं भी पांच लोगों से ज्यादा जमा न हो। इसी के चलते नगर परिषद ने भी पहल करते हुये शहर की दुकानों के बाहर गोले बनाये हैं। दूर-दूर बने इन गोलों में लोगों को खड़ा रहना होगा। ये ही उनके और परिजनों के लिए सुरक्षित होगा। अन्यथा कोरोना की जद में कोई भी आ सकता है और फिर से संक्रमण फैलने में देर नहीं लगेगी।
पचास दिनों तक घरों में जैसे-तैसे कैद रह चुके लोगों को अब अपनी ही इस मेहनत को हर हाल में बचाना है और इसके लिए पुलिस, प्रशासन और चिकित्सा महकमा तो दिन रात एक कर ही रहे हैं। लेकिन अब लोगों को भी अपनी इस मेहनत को बचाये रखना है तो वे, जल्दी ही कोरोना नामक इस बीमारी पर जीत सकते हैं, पर उन्हें हर समय सोशल डिस्टेंस बनाये रखनी होगी। लगातार हाथ धोने होंगे और सामान खरीदते और घर में उपयोग करते समय सावधानियां बरतनी होगी, तब जाकर भीलवाड़ा फिर से चल सकेगा। लोग घरों से पहले की तरह आने वाले कुछ समय में फिर से बाहर निकल सकेंगे और चार दोस्तों के साथ बैठ सकेंगे। पार्टी हो या जश्न अभी तो संभव नहीं है, लेकिन सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो फिर पहले जैसे जश्न मना सकेंगे। वरना बंदिशों में शादियां होगी अन्य कार्यक्रम भी गिने-चुने परिजनों के साथ ही आयोजित करने होंगे। यार-दोस्तों और मेहमानों को तो बाय-बाय करना होगा। उद्योग धंधे चलाने है तो हमें अभी से इसके लिए पूरे प्रयास करने होंगे।
पिछली बार जिस तरह कफ्र्यू में ढील देने के दौरान शहर के बाशिंदे बेकाबू हुये थे। दुकानदारों ने कमाई के लिए नियमों को ताक में रखा था। अगर ऐसा ही हाल सोमवार को होता है तो फिर लोगों को पुराने पचास दिन भूल कर आगे के लिए फिर तैयारी करनी पड़ सकती है और यह समय सीमा न तो प्रशासन जानता है और न पुलिस। कोरोना का दंश कितने को लगता है, यह कोई नहीं बता सकता है। चिकित्सक प्रयास कर सकता है ऐसे लापरवाह लोगों को लेकिन लोगों को भी याद रखना होगा कि टीवी में जो दृश्य इटली और अमेरिका के उन्होंने देखे है, इसके बाद भी वे सावधान और सचेत नहीं रहे तो...?
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