कोरोना फाइटर्स सम्मान पत्र:नियम, शर्ते, सेटिंगे अलग अलग
इस महामारी का वैक्सिन तो पता नहीं कब आयेगा लेकिन फिलहाल सर्टिफिकेट आ गये है.. कोरोना फाइटर्स सम्मान सर्टिफिकेट। खूब संख्या में छप रहे है, बंट रहे है ,लेकिन फिर भी मारामारी चल रही है। सर्टिफिकेट पाने वाले का नाम पक्का ही इतिहास मे अमर होगा, संभव है कोई स्मारक भी बने और पत्थरों पर सम्मानपत्र धारकों के नाम लिखे जाये। अधिकांश आदमी को जीते जी अमर होने लालसा रहती है। सर्टिफिकेट के साथ अपना फोटो देखने से उम्र बढती है।
कल ही हमारे पहचान वाले, और दूर तक पहचान रखने वाले, एक सज्जन ये सर्टिफिकेट लेकर आये, उन्हे गली की एक संस्था ने सम्मानित किया, कोरोनो फाइटर्स जैसे टाईटल से नवाजा गया। मौहल्ले वालों ने दो दो फिट दूर खडे रहकर तालियां बजायी, इनका सीना चार फिट चौडा हुआ, सोशल मिडिया पर चालीस जगह फोटो डाली गयी। गर्व से इनका सिर, धड़ से बिलात भर उपर उठ गया, और कुछ नहीं तो अगली बार इसी सर्टिफिकेट के सहारे पार्षद के लिए दावा कर सकते है।
ऐसे सर्टिफिकेट सरकार, प्रशासन, संस्थाएं, सब बांट रहे है। लोगों मे उत्साह है। इससे फाइटर्स वाली फिलिंग पैदा होती है। यही हाल रहा तो वैक्सिन की जरूरत ही ना होगी, सर्टिफ़िकेट निपटाने के बाद ये ही फाइटर्स कोरोना को भी निपटा देंगे।
निश्चित ही ये सब सर्टिफिकेट फ्रेम में मढे जायेगे, ड्राइंग रूम मे लगेंगे और इन्ही के नीचे, सोफे पर बैठकर आगंतुको को चाय पिलायी जायेगी इस कहानी के साथ कि हम जो ना होते...तो जाने क्या होता।
अगर आप भी, थोड़ी बहुत "उस तरह" की एप्रोच रखते है तो ऐसे सर्टिफ़िकेट के लिए जरूर प्रयास करना चाहिए, अगर ऐप्रोच नहीँ है तो किसी गली वाली संस्था को थोडा सा चन्दा देकर ये प्राप्त कर सकते है। ये सब जगह छप रहे है, बस प्राप्त करने के नियम, शर्ते, सेटिंगे अलग अलग है।
चुकिये मत, में खुद भी एक छोटे मोटे सम्मान पत्र की जुगाड़ मे हूं । जरूरी भी है ।आने वाली पीढ़ियां याद रखेगी..
" देखो ..ये थे मेरे दादाजी.. कोरोना फाइटर्स ।
इन्हौने ही कोरोना को मार भगाया था।
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