कोरोना योद्धा सर्टिफिकेट लेने-देने की मची हौड़
भीलवाड़ा(राजेश जीनगर)/कोरोना संक्रमण महामारी के चलते सम्पूर्ण विश्व में जारी लॉकडाउन के चलते जरूरतमंदों की जनसेवा से जुड़कर अपना समय देने वाले कोरोना योद्धाओं को सोशल मीडिया पर इन दिनों विभिन्न संस्थाओं द्वारा ऑनलाइन कोरोना योद्धा सर्टिफिकेट देने की हौड़ मची हुई है, देखो सुनहरा अवसर चुक ना जाए, इसलिए लेने वाले व देने वालों में इसका प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है। सबसे बड़े ताजुब की बात तो ये है की सर्टिफिकेट देने वाली संस्थाओं को प्रमाण की कोई आवश्यकता नहीं है, बस आपका एक फोटो चाहिए अगले व्यक्ति ने चाहे कोरोना योद्धा के रुप में काम किया हो या नहीं किया हो, इससे संस्थाओं को कोई लेना देना नहीं। जिनको स्थानीय स्तर पर कोई नहीं पुछ रहा है तो वह बाहर मौका तलाश रहें है की बस किसी तरह सर्टिफिकेट मिल जाऐ तो वह भी प्रमाणिक कोरोना योद्धा कहलाएं।
वहीं, सोशल मिडिया पर फैसबुक और व्हाट्सएप पर दबाकर शेयर किए जा रहे ऐसे ऐसे कोरोना योद्धाओं के सर्टिफिकेट भी देखने को मिल रहें है जो लॉकडाउन के दौरान जनसेवा से जुड़ना तो दुर घर के बाहर कभी गली में नजर नहीं आऐ लेकिन कोरोना योद्धा के रूप में उनकी सराहनीय सेवाएं उस सर्टिफिकेट में नजर आ रही है।
इधर, दुसरी और विभिन्न संस्थाओं द्वारा इस तरह बिना जांच परख के दिए जा रहे सर्टिफिकेट को लेकर भीलवाड़ा की एक सामाजिक महिला संस्था की जिलाध्यक्ष ने आपत्ति दर्ज करवाई हैं की जिस संगठन ने एक महिला कार्यकर्ता को सर्टिफिकेट जारी किया है, वह लॉकडाउन के दौरान जनसेवा को लेकर कभी सक्रिय नहीं रहीं तो, फिर सर्टिफिकेट के जरिए उनका कोरोना योद्धा के रूप में कैसा सम्मान और क्यों, इसकी जांच होनी चाहिए की उन्हें ये सर्टिफिकेट किसके हवाले और कहने से जारी किया गया हैं।
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