मजदूरों की घर वापसी से उद्योग जगत परेशान
भीलवाड़ा।केंद्र सरकार से घर वापसी की मंजूरी मिलने के बाद एक तरफ जहां प्रवासी मजदूरों की खुशी का ठिकाना नहीं है, वहीं शहर में लॉकडाउन में मिली रियायतों के मद्देनजर खुलने की तैयारी कर रहे उद्योगों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। जानकारों का कहना है कि लॉकडाउन में काम ठप होने से उद्योग जगत पहले से हलकान है। फैक्टरियां खुलने के बाद मजदूर नहीं मिलने से उसकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।
उधोगपति रमेश अग्रवाल के मुताबिक एक बार मजदूर गांव चला गया तो उसे वापस लाना बेहद मुश्किल होगा। गांव में ही मनरेगा और खेती-किसानी में रोजगार मिलने के कारण मजदूर शायद ही शहर लौटना चाहेगा। अगर वापसी करेगा भी तो वह ज्यादा मजदूरी की मांग करेगा।
उन्होंने चेताया कि चूंकि, काफी दिनों से बंद पड़े उद्योग ज्यादा खर्च करने की स्थिति में नहीं होंगे, इसलिए मजदूरों का पलायन उम्मीद से कहीं अधिक बड़ी चुनौती बनने जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर मजदूरों का पलायन रोकना चाहिए। उद्योग जगत इस दिशा में हर संभव मदद करने को तैयार है।
रियल एस्टेट में हालात ज्यादा बिगड़ने की आशंका
लंबे समय से बिक्री में गिरावट और पूंजी की कमी का सामना कर रहे रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए परेशानियां ज्यादा बढ़ सकती हैं। रियल एस्टेट कारोबाारी अनिल मनसिहका बताते है कि लॉकडाउन के बाद मजदूरों का जितनी तेजी से पलायन हो रहा है, उसमें यह अंदाजा लगाना ही मुश्किल हो रहा है कि आगे कैसे दिन आने वाले हैं?
मजदूरों के परिवार का भरोसा जीतना होगा
आर्थिक विशेषज्ञ मजदूरों के पलायन को एक गंभीर चुनौती के रूप में देख रहे। वे कहते हैं, पलायन रोकने के लिए उद्योग जगत को काफी मेहनत करनी पड़ेगी। जो मजदूर लौटना चाहते हैं, उनके परिवार को भरोसा दिलाना होगा कि वे जिस कंपनी में काम कर रहे हैं, वहां शारीरिक और आर्थिक रूप से सुरक्षित हैं।
भारत में प्रवासी मजदूर
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में लगभग 13.9 करोड़ प्रवासी कामगार हैं। इनमें से 92 प्रतिशत पुरुष और सिर्फ 8 फीसदी महिलाएं हैं। 92 फीसदी के करीब इनमें से असंगठित क्षेत्र में कार्यरत हैं। 20 लाख के करीब प्रवासी कामगार घर वापसी के लिए आवेदन कर चुके हैं। अकेले गुजरात में कुल 5.76 लाख कुल मजदूरों में से 3600 ने घर भेजने की गुहार लगाई है।
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