रणथंभोर में 70 प्रतिशत बाघ-बाघिन भी नहीं है, बाघों की संख्या की पु
भीलवाड़ा हलचल। पीपुल फाॅर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी बाबूलाल जाजू ने असिस्टेंट इंस्पेक्टर जनरल आॅफ फोरेस्ट, नेशनल टाईगर कन्जर्वेशन आॅथोरिटी, दिल्ली को पत्र लिखकर रणथंभोर व सरिस्का टाईगर रिजर्व मंे पर्यटन शुरू करने से पूर्व बाघों की संख्या की पुनः गणना कराने की मांग की है।
जाजू ने पत्र में बताया कि विभागीय आंकड़ो के अनुसार रणथंभोर टाईगर रिजर्व मंे लगभग 80 बाघ-बाघिन व शावक है तथा सरिस्का टाईगर रिजर्व मंे लगभग 20 बाघ-बाघिन व शावक हैं, जबकि वास्तविकता में 70 प्रतिशत बाघ-बाघिन भी इन टाईगर रिजर्वों में नहीं है। जाजू ने बताया कि कोरोना लाॅकडाउन के दौरान रणथंभोर व सरिस्का टाईगर रिजर्व में वन विभाग के अफसरों की घोर लापरवाही के चलते माॅनिटरिंग व गश्त व्यवस्था कमजोर होने से अनेक बाघों के शिकार एवं लापता होने की घटनाएं, चीतल सहित अन्य वन्यजीवों का शिकार एवं पेड़ों के कटने व अवैध खनन की घटनाएं घटित हुई है। जाजू ने खुलासा करते हुए कहा कि टी-42 फतह, टी-6 रोमियो व टी-46 मोहन सहित अनेक बाघ रणथंभोर राष्ट्रीय उद्यान से लापता है। जाजू ने इन बाघों सहित अनेक बाघों के शिकार की आशंका जताई है।
जाजू ने रणथंभोर व सरिस्का टाईगर रिजर्व सहित देशभर के सभी टाईगर रिजर्वों में बाघों की संख्या की अत्याधुनिक तकनीक से पुनः गणना करवाते हुए टाईगर रिजर्वों की माॅनिटरिंग व ट्रेकिंग सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने एवं बाघों की सुरक्षा में लापरवाही बरतने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग की है। उल्लेखनीय है कि बाघों में रेडियोकाॅलर लगा होने व ट्रेकिंग पर प्रतिवर्ष बड़ी धनराशि खर्च किये जाने के बावजूद बाघों के आंकड़े सत्यता से कोसो दूर है।
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