सृजन घोटाला: ED ने जब्त की 14 करोड़ 32 लाख की संपत्ति
भागलपुर
आर्थिक अपराध इकाई (ED) ने सृजन घोटाले में बड़ी कार्रवाई की है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट के तहत ED ने यह कार्रवाई की है। आरोपितों की करीब 14 करोड़ 32 लाख की संपत्ति ED ने जब्त की है। जानकारी में बताया गया है कि आर्थिक अपराध इकाई ने पीएमएलए के तहत 20 फ्लैट, जमीन के 33 प्लॉट, 18 दुकानें, एक कार और बैंक खाता में रखे रुपये सहित कुल साढ़े 14 करोड़ की संपत्ति जब्त की है।
ED की इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि ये सारी संपत्ति सृजन महिला विकास सहयोग समिति के नाम से है। इससे पहले ED ने बैंक अधिकारी समेत कई लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया था।
ED सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 20 फ्लैट, 18 दुकान, 33 प्लॉट और एक कार जब्त किया गया है। इसके अलावा बैंक में रखे 4.84 करोड़ रूपये को भी जब्त किया गया है। साथ ही नोएडा, गाजियाबाद, पुणे, रांची, भागलपुर, पटना में फ्लैट को जब्त कर लिया गया है। इसके अलावा नोएडा, गाजियाबाद, भागलपुर की 18 दुकानों को भी ED ने अटैच किया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को कहा कि बिहार के गैर सरकारी संगठन सृजन महिला विकास सहयोग समिति की 14.32 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर ली है। एनजीओ के खिलाफ धनशोधन मामले की जांच के तहत यह कार्रवाई की गई है।
2017 में सरकारी कोष में कथित अनियमितता कर एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले का मामला सामने आने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी ने एनजीओ के खिलाफ जांच शुरू की थी।
एजेंसी ने बयान जारी कर कहा, ‘जब्त संपति में नोएडा, गाजियाबाद, पुणे, रांची, भागलपुर और पटना में 20 फ्लैट, नोएडा, गाजियाबाद और भागलपुर में 19 दुकानें, बिहार में 33 प्लॉट या घर, फॉक्सवैगन की एक कार और 4.84 करोड़ रुपये बैंक बैलेंस शामिल है।’ ईडी ने सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड के खिलाफ धनशोधन निवारण कानून के तहत 14.32 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त करने का आदेश जारी किया है।
एजेंसी ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर मामले में धनशोधन के आरोप लगाए हैं। सीबीआई ने मामले में कई आरोपपत्र दायर किए हैं। ईडी ने अपनी जांच में बताया कि ‘2003-04 से 557 करोड़ रुपये सरकारी खातों से निकालकर अवैध रूप से एनजीओ (सृजन) के बैंक खातों में डाल दिए गए।’ ईडी के मुताबिक, ‘दिवंगत मनोरमा देवी सोसायटी (एनजीओ) के गठन से लेकर 13 फरवरी 2017 में मृत्यु होने तक इसका सचिव रहीं।’
इसने कहा, ‘वह मुख्य आरोपी थीं जिन्होंने सरकार और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन में अनियमितताएं कीं।’ इसने कहा कि एसएमवीएसएसएल के बैंक खाते में स्थानांतरित धन को आरटीजीएस, नकदी एवं चेक के माध्यम से विभिन्न कंपनियों में स्थानांतरित किया गया। एजेंसी ने कहा, ‘अवैध रूप से स्थानांतरित धन का इस्तेमाल मनोरमा देवी, सरकारी अधिकारियों और अन्य के परिवार के सदस्यों के नाम पर अवैध रूप से संपत्ति जुटाने में किया गया।’
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