जिनका गुरू नही , उनका जीवन शुरू नही

 









 

 चित्तौडग़ढ़ हलचल। हिन्दू संस्कृति मे ऋषि मुनियों एवं गुरू की बहुत महत्ता मानी जाती है। गुरू के द्वारा ही भविष्य का निर्माण होता है। पूरे संसार में गुरू आध्यात्मिक शक्ति की धरोहर है।
गुरू शक्ति हमारी ओर आकर्षित होती है पर देखा गया है कि आज का मानव कहीं ना कहीं उलझ रहा है भटक रहा है आज जो मूल्यों में जो गिरावट आ गई है आज मनुष्य तनाव चिंता मैं जी रहा है सही राह नजर नहीं आ रही है सब कुछ करने के बाद भी हम सुखी नहीं है हम यदि अपने मूल्यों को अपने जीवन में धारण करें तो हमारा जीवन सदा खुशनुमा बन जाएगा तो आइए हम सभी उस सद्गुरु शिव भोलेनाथ को पहचाने वह एक संकल्प ले की हम सदा खुश रहेंगे सबको खुश रखेंगे ना दुख देंगे ना दुख लेंगे यही गुरु का आर्शीवचन है।
आज का दिन हम सभी के जीवन में कई खुशियां लेकर आता है क्योंकि आज का दिन गुरु का दिन है वैसे तो हम सदा ही किसी न किसी से सीखते ही रहते हैं लेकिन आज का दिन सभी भक्त जो अपने गुरु से कुछ सीखते हैं उनके दर्शन करने दूर-दूर तक जाते हैं गुरु की महिमा अपरंपार है यदि हम गुरु की सीख जीवन में अपनाते हैं तो सदा ही सफलता मिलेगी।
सत्यनारायण बालोदिया ने बताया कि वे गुरूपूर्णिमा के दिन घर पर ही बैठ कर गुरू का ध्यान कर सेवा अर्चना कर उनको नमन किया और विश्व की महामारी जो वर्तमान समय मे कोरोना वाइरस जैसी महामारी फैली हुई है यह अत्यन्त घातक बिमारी है जिससे सभी को इस बिमारी से निजात मिल यह गुरू से कामना की। गुरू पूर्णिमा पर गुरू की विशेष पूजा अर्चना होती है और आर्शीवाद लिया जाता है इसलिए कोविड 19 (कोरोना वाइरस) से इस महामारी से गुरू व संतो के आर्शिवाद से उक्त बिमारी से मुक्ति मिले।
संतों का सम्मान हमारी परंपरा है। धर्म व संत समाज से गहरा जुड़ाव रहा है और संतों के आशीर्वाद से ही भारत में संस्कृति टिकी हुई है। संतो के आर्शीवाद से सभी कार्य सम्पन्न हो पाते है। मानव के जीवन में संत व गुरू की अहम भूमिका है। मनुष्य के लिए गुरू की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से गुरू हमेशा साथ रहते है।



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