राजपूत समाज ने सीबीआइ जांच पर उठाए सवाल, आंदोलन के लिए अल्टीमेटम

 

राजस्थान के गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर को सही ठहराने और उसके गांव सांवराद में हुई श्रद्धांजलि सभा में हुई आगजनी, तोड़फोड़ के मामले में सीबीआइ की ओर से पेश चार्जशीट के खिलाफ राजस्थान का राजपूत समाज आंदोलन कर सकता है। राजपूत समाज ने सीबीआइ जांच पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि न तो एनकाउंटर मामले में दी गई अंतिम रिपोर्ट (एफआर) सही है, और ना ही श्रद्धांजलि सभा में हुए हंगामे के लिए समाज के 24 लोगों को आरोपित बनाना सही है। सीबीआइ ने दोनों ही मामलों में फौरी जांच की है। राजपूत समाज ने एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच कराने और राजपूत नेताओं पर दर्ज किए मुकदमे वापस लेने की मांग की है। इस बारे में राजपूत समाज ने केंद्र व राज्य सरकार को 12 जुलाई तक का समय दिया है। इस दौरान कोई सकारात्मक आश्वासन नहीं मिला तो समाज आंदोलन का निर्णय कर सकता है।


राजस्थान राजपूत सभा और सर्व समाज संघर्ष समिति के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाडा ने रविवार को प्रेसवार्ता में कहा कि आनंदापल एनकाउंटर मामले में 12 जुलाई को हुई श्रद्धांजलि सभा में हंगामे के बाद 13 जुलाई को थाना जसवंतगढ़ में हंगामे की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इसके बाद 18 जुलाई को तत्कालीन भाजपा सरकार के तीन मंत्रियों की समिति ने समाज के साथ एक समझौता किया था, जिसमें यह तय हुआ था कि आनंदपाल एनकाउंटर मामले और श्रद्धांजलि सभा में हंगामे के दौरान की एक व्यक्ति की मौत के मामले में दर्ज एफआइआर जांच के लिए सीबीआइ को भेजी जाएगी तथा राज्य सरकार अन्य प्रकरणों में दर्ज मुकदमों में कोई द्वेषतापूर्ण कार्रवाई नहीं करेगी। इसके बावजूद सरकार ने समझौता होने के छह माह बाद जनवरी 2018 में 13 जुलाई को जसवंतगढ़ थाने में दर्ज एफआइआर सीबीआइ को भेज दी। लोटवाडा ने कहा कि यह एक द्वेषतापूर्ण कार्रवाई थी और तत्कालीन भाजपा सरकार ने लिखित समझौते का उल्लंघन किया था। अब उसी एफआइआर पर सीबीआइ ने समाज के 24 प्रतिष्ठित लोगों पर चार्जशीट दाखिल कर दी है और आरोपित बना दिया है।


लोटवाडा ने दावा किया कि जिन लोगों को आरोपित बनाया गया, उनमें से कुछ लोग तो उस दिन मौके पर मौजूद ही नहीं थे। फिर भी उनके नाम चार्जशाीट में शामिल कर लिए गए है। उन्होंने कहा कि जो लोग वहां मामले को शांत करने के लिए गए हुए थे, उन्हीं को आरोपित बना दिया गया है। इससे साबित होता है कि यह फौरी जांच है। इसके अलावा एनकाउंटर मामले की जांच भी सही ढंग से नहीं की गई है। जिस पार्टी को राजपूत समाज ने अपने खून पसीने से सींचा है, उसी पार्टी की सरकार ने हमारे हितों पर कुठाराघात किया है। उन्होंने कहा कि हमें अभी तक हालांकि सीबीआइ की ओर से कोई नोटिस नहीं मिला है, लेकिन हमने केंद्र व राज्य सरकार के मंत्रियों से मांग की है कि इन मामलों की निष्पक्ष जांच कराएं और गलत ढंग से दाखिल चार्जशीट वापस ली जाए। हम 12 जुलाई को समाज की बैठक करेंगे।


इस दौरान कोई सकारात्मक आश्वासन मिलता है तो हम सरकार को धन्यवाद देंगे, अन्यथा आंदोलन की रणनीति तय करेंगे। गौरतलब है कि इसी मामले में दो दिन पहले राजस्थान की कांग्रेस सरकार के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी सीबीआइ जांच पर इसी तरह के सवाल उठाए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि इस मामले में अब एक बार फिर राजनीति गर्मा सकती है। राजस्थान में 24 जून, 2017 को गैंगस्टर आनंदपाल का पुलिस एनकाउंटर हुआ था। इसे फर्जी एनकाउंटर बताते हुए राजपूत समाज ने सीबीआइ जांच की मांग की थी और सरकार पर दबाव बनाने के लिए आनंदपाल के पैतृक गांव सांवराद में बडी श्रद्धांजलि सभा की थी। इस सभा में काफी हंगामा, तोड़फोड़ और आगजनी हो गई थी और एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। बाद में तत्कालीन सरकार ने यह मामले जांच के लिए सीबीआइ को भेज दिए थे। 


 



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