रोते हुए भाई को चुप कराने के लिए बहन ने दी टॉफी, गले में अटकने से ढाई माह के मासूम की मौत
नोएडा । ढाई माह के भाई को रोता देख उसे दुलार रही तीन साल की मासूम बहन ने भाई को चुप कराने के लिए अपनी टॉफी उसे खिला दी। यह टॉफी गले में फंसने से बच्चे की मौत हो गई। सेक्टर-81 निवासी सुनील कुमार निजी कंपनी में काम करते हैं। करीब ढाई महीने पहले ही उनकी पत्नी सुषमा ने बेटे सौरभ को जन्म दिया था। गुरुवार की दोपहर में उनकी पत्नी घरेलू काम में लगी हुई थी तभी बेटे ने रोना शुरू कर दिया। भाई के पास खड़ी तीन साल की मासूम बेटी उसे दुलारते हुए चुप कराने का प्रयास करने लगी। इसी दौरान उसने अपनी टॉफी उसे खिला दी। इसकी वजह बच्चे सौरभ की सांस अटकने लगी और उसकी हालत बिगड़ गई। परिजन उसे तुरंत नर्सिंग होम में ले गए। डॉक्टरों ने उसे जिला अस्पताल ले जाने को कहा। इसके बाद मासूम को जिला अस्पताल ले जाया गया जहां इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर डॉ. बिन्दु ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया। एम्बुलेंस नहीं मिली, ऑटो में ले गए शव सौरभ की मौत के बाद उसके परिजन शव को घर ले जाने के लिए घंटों अस्पताल में एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे। वे अस्पताल के गेट पर ही उसका शव लेकर बैठे रहे, लेकिन घंटों बाद भी उन्हें एम्बुलेंस सेवा नहीं मिली। इसके बाद पिता ऑटो में ही बेटे के शव को लेकर घर लौट गया। एम्बुलेंस की मांग कर रहे परिजनों की अनेक बार स्वास्थ्य कर्मियों से नोकझोंक भी हुई। सीएमएस ने जांच कराने का दावा किया सीएमएस डॉ. वीबी ढाका ने कहा कि एम्बुलेंस न मिलने का मामला उनकी जानकारी में नहीं है। इस प्रकरण की वह जांच कराएंगे। जांच में जिसकी भी लापरवाही सामने आएगी, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। तीन अस्पतालों में गए परिजन बोले समय से मिलती एम्बुलेंस तो बच जाती जान ढाई माह के मासूम की मौत के बाद परिजनों का कहना था कि बच्चे की हालत बिगड़ने के बाद वह पहले उसे अपने घर के पास ही एक अस्पताल में गए थे, वहां से वह एक दूसरे निजी अस्पताल में पहुंचे और यहां से भी उसे जिला अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया। इस दौरान उन्होंने अनेक बार एम्बुलेंस के लिए फोन मिलाया और कुछ देर तक उसका इंतजार भी करते रहे, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई। वह जैसे-तैसे जिला अस्पताल पहुंचे। उनका आरोप था कि यदि सरकारी एम्बुलेंस सूचना मिलने के बाद आ जाती तो शायद उनके मासूम बेटे की जान बच जाती। |
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