गुरु की सेवा, सिमरन और सत्संग से ही सभी सुख प्राप्त होते हैं

  भीलवाड़ा हलचल।हरी शेवा उदासीन आश्रम, सनातन  मन्दिर  में महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन के सानिध्य में आयोजित विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक अनुष्ठानों के अन्तर्गत आज रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर अनंत श्रीविभूषित रामदयाल जी महाराज पधारे। उन्होनेे अपने  आशीर्वचनों में कहा कि गुरु की सेवा,  सिमरन और सत्संग से ही सभी सुख प्राप्त होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना प्रकृति से नहीं अपितु विकृति से पैदा हुआ है और इस विकृति का अंत संस्कृति की ताकत से ही हो सकता है। अपने गुरु तथा ईश्वर की अलौकिक शक्ति एवं कृपा ही वैक्सीन है, जो राष्ट्र के नागरिकों की इस कोरोना से रक्षा कर पायेगी। प्रातःकालीन कथासत्र में पाक्षिक श्री महाशक्ति लीला कथा में तेरहवें दिन की कथा का वाचन और प्रवचन करते हुए व्यासपीठ से कथा-प्रवक्ता स्वामी योगेश्वरानन्द जी महाराज ने  कहा कि परमेश्वरी दुर्गा भगवती ने असुरों का संहार करके देवों और मानवों में धर्ममय और अध्यात्ममय जीवन की स्थापना की जिससे सर्वत्र प्रकृति सर्व जीवो के अनुकूल हो गई।सायंकालीन कथासत्र में 45 दिवसीय श्रीमद्भागवत महाकथा के आज 42वें दिन की कथा का वाचन और प्रवचन करते हुए व्यासपीठ से कथा-प्रवक्ता ने  कहा कि तितिक्षा अर्थात सहनशीलता की साधना से समस्त कामनाएं सिद्ध होती हैं। किसी भी लक्ष्य को साधने के लिए सहनशीलता की नितान्त आवश्यकता होती है। सब प्रकार की विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए लक्ष्य केन्द्रित दृष्टि रखना साधक के लिए अत्यंत आवश्यक है। आरती में सारस्वत समाज भीलवाड़ा के जिलाध्यक्ष शंभू लाल जोशी, नगर अध्यक्ष रामेश्वर लाल भंडिया, सचिव जितेंद्र कुमार ओझा, कोषाध्यक्ष जगदीश चंद्र ओझा, संरक्षक ताराचंद ढांचा व अन्य ने उपस्थित होकर व्यासपीठ का पूजन अर्चन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।रात्रिकालीन सत्र में रासलीला के अंतर्गत भगवान श्री कृष्ण की अनेक बाल लीलाओं के साथ कालिया नाग मर्दन के दृश्य का भी मंचन किया गया।


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