एम. पी. एस. के शिक्षकों ने महिलाओं के सम्मान हेतु दायर की याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकारी

 


भीलवाड़ा(हलचल) | गत 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित विचार गोष्ठी में आज़ाद नगर स्थित माहेश्वरी पब्लिक स्कूल (गर्ल्स) के शिक्षकों द्वारा महिलाओं के सम्मान की रक्षा हेतु सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी | विदित है कि भारत सरकार के सांख्यिकी विभाग द्वारा प्रतिवर्ष कई विषयों से संबंधित आंकड़े जारी किए जाते हैं जिसमे मातृत्व दर को दर्शाने के लिए सदैव अंग्रेज़ी के शब्द 'female fertility rate' और 'sterile' जैसे अमान्य शब्दों का प्रयोग किया जाता है जिनका हिंदी अर्थ क्रमशः 'महिला उपजाऊपन दर' एवं 'बाँझ' होता है ।
इस बात पर अमूमन किसी का ध्यान नहीं जाता पर एम्. पी. एस. के शिक्षकों ने इस पर संज्ञान लेकर आपत्ति जताई  । इसके लिए विद्यालय शिक्षकों द्वारा भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की केंद्रीय मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी, माननीय प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी एवं सुप्रीम कोर्ट को शिकायती पत्र लिखे गए जिनमे सभी शिक्षकों द्वारा एक महिला के लिए ऐसे हीन शब्दों के प्रयोग पर रोक लगाने की बात कही गयी । पत्र में लिखा गया कि एक महिला कोई खेत- खलिहान या भूमि नही होती जिसके उपजाऊ होने या न होने का हिसाब रखा जाए । साथ ही मातृत्व सिर्फ महिला से नही जुड़ा होता बल्कि माता- पिता दोनों ही इसके लिए ज़िम्मेदार होते हैं, तो फिर क्यों महिला को ही समाज मे हीनता का सामना करना पड़े । इस विषय मे लिखे गए पत्र में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि  प्रत्येक सरकारी डॉक्यूमेंट में से महिलाओं के लिए प्रयुक्त ऐसे हीन शब्दों को हटाया जाए एवं इनके स्थान पर 'मातृ एवं पितृत्व दर', 'motherhood', 'parenthood' आदि शब्दों का इस्तेमाल किया जाए ।
गौरतलब है कि इस पर तुरंत संज्ञान लेते हुए विद्यालय के शिक्षकों को माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा सन्देश के रूप में आश्वासन प्राप्त हुआ है जिसमे बताया गया है कि इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट की अधिकृत वेबसाइट पर रजिस्टर कर लिया गया है एवं इस पर कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू हो गयी है ।
विद्यालय परिवार इस त्वरित कार्यवाही पर भारत सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट का आभारी है । इस याचिका पर उचित कार्यवाही करके इसका निराकरण करना इस देश की प्रत्येक महिला के सम्मान हेतु आवश्यक है ।
इससे पूर्व भी एम. पी. एस.  के शिक्षक एवं विद्यार्थी समय समय पर सामाजिक मुद्दों पर अपनी आआवज़ उठाते रहे हैं । चाहे विधानसभा का स्थगन हो, या लोकल इंफ्रास्ट्रक्चर से संबंधित कोई समस्या हो या भारत की विलुप्त होती कलाओं के पुनरुद्धार की ओर सरकार का ध्यान दिलाना हो, एम. पी. एस. हमेशा ही इसमें जागरूक एवं अग्रणी रहकर पत्राचार करता रहा है जिसपर सरकार द्वारा त्वरित कार्यवाही भी की गई है । विद्यालय का मानना है कि ऐसा करने से आम जन के मन में सरकार एवं सिस्टम के प्रति विश्वसनीयता बनी रहती है |

 

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