मौत के बाद भी किया बलात्कार, दरिंदों को न्यायालय ने दी सजा-ए-मौत

 


 बूंदी. 

कालाकुआं के जंगल में आदिवासी मासूम से बलात्कार कर नृशंस हत्या के चार माह पुराने मामले में यहां विशेष न्यायालय पोक्सो संख्या - 2 ने दोनों दरिंदों को शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए इस जघन्य अपराध के लिए मृत्यु दंड से दंडित किया है। दोनों आरोपियों पर पुलिस की ओर से पेश चार्जशीट की सभी धाराओं में गुरुवार को दोषी सिद्ध मान लिया गया था। फैसला शुक्रवार को सुनाया गया, जिसमें आरोपी 27 वर्षीय सुल्तान एवं 62 वर्षीय छोटूलाल भील को मृत्य दंड से दंडित किया है।

 राज्य सरकार की ओर से नियुक्त विशिष्ट लोक अभियोजक महावीर किशनावत ने इस जघन्य अपराध के लिए अपराधियों को कड़ी सजा की मांग रखी, ताकि फैसला नजीर बने। फिर से ऐसा करने का विचार बनाने से पहले रूह कांपे। प्रकरण के अनुसार कालाकुआं के जंगल में 23 दिसम्बर 2021 की देर शाम को आदिवासी मासूम से तीन जनों ने मिलकर बलात्कार कर नृशंस हत्या कर दी गई थी। न्यायालय में अभियोजन पक्ष की ओर से 22 गवाह और 79 दस्तावेज प्रदर्शित कराए गए थे। मासूम शौच के लिए घर से निकली थी। उसे जंगल में अकेला पाकर नशे में धुत तीन दरिंदों ने पकड़ लिया, फिर बारी -बारी से बलात्कार किया। विरोध किया तो उसे नोंचा।

मुंह से काटकर शरीर जख्मी कर दिया। मेडिकल में 19 चोटें मिली। किशोरी चिल्लाती रही और दया की भीख मांगती रही। जब उसने पूरी घटना घर वालों को बताने की बात कही तो तीनों ने मिलकर उसका चुन्नी से गला घोंट दिया। सिर पर पत्थर मारा। उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। यही नहीं आरोपियों ने उसे घसीटा और मौत होने के बाद भी बलात्कार किया, जिसकी पुष्टि बाद में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई। रोंगटे खड़े कर देने वाली इस वारदात को पुलिस ने शुरुआत से ही गंभीरता से लिया।

 केस ऑफिसर स्कीम में लेकर जल्द से जल्द जांच पूरी की और मात्र 14 दिन में न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायालय ने सुनवाई बाद दोनों आरोपियों को दोषी सिद्ध माना। शुक्रवार को अपने फैसले में दोनों आरोपियों को मृत्य दंड से दंडित किया गया। वारदात में शामिल एक आरोपी नाबालिग था जिसे पुलिस ने विधि के विरुद्ध निरुद्ध कराया था। जिसका प्रकरण बाल न्यायालय में चल रहा है।

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