बंद विद्युत इकाइयां होंगी शुरू, 20 ठप खदानों से निकाला जाएगा कोयला आपात प्रावधान लागू

 


नई दिल्ली देशभर में बिजली संकट को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है।करीब एक दशक के सबसे गहरे बिजली संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने आपातकालीन प्रावधान लागू किए हैं। इसके तहत कोयला आयात से लेकर घरेलू कोयला उत्पादन बढ़ाने और कोयले को संयंत्रों तक समय पर पहुंचाने के लिए हर मोर्चे पर युद्धस्तर पर जुटी है। विद्युत मंत्रालय ने बताया कि सरकार आयातित कोयले से बिजली बनाने वाली बंद पड़ी विद्युत उत्पादन इकाइयों को फिर शुरू करने जा रही है, साथ ही बंद खदानों से कोयला भी निकाला जाएगा।

बिजली की मांग चार दशक के उच्चतम स्तर पर है। वहीं आयातित कोयले पर आधारित 43 फीसदी से ज्यादा विद्युत उत्पादन इकाइयां बंद पड़ी हैं, जिनसे करीब 17.6 गीगावाट बिजली पैदा हो सकती है। देश में कोयला आधारित कुल विद्युत उत्पादन में ये इकाइयां 8.6 फीसदी का योगदान करती हैं। इसी वजह से सरकार ने इन्हें शुरू करने की तैयारी की है। इसके अलावा विद्युत उत्पादन की लागत ग्राहकों से वसूलने के लिए समिति का गठन किया है।विद्युत उत्पादक इकाइयों के पास कोयले का भंडार 9 वर्ष के न्यूनतम स्तर पर आ गए हैं। इस संकट के पीछे कई कारण हैं, जिनमें विद्युत वितरण कंपनियों की ग्राहकों से बिजली उपभोग की समय पर कीमत वसूलने में नाकामी से कोयला खदानों से कोयला उत्पादन में 33 फीसदी तक कमी करना शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पिछले वर्ष मार्च-अप्रैल की तुलना में नॉन कोकिंग कोल की कीमत 50 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 288 डॉलर प्रति टन तक पहुंच गई थी। रूस से कोयला आयात बंद करने के बाद अब कीमत करीब 140 डॉलर प्रति टन है।

आयात पर तुरंत कदम उठाएं राज्य
केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को फिर से राज्यों से कहा कि वे बिजली उत्पादन के लिए कोयला आयात पर तुरंत कदम उठाएं। बिजली बनाने वाली इकाइयों के कोयला आयात की समीक्षा बैठक के दौरान सिंह ने कहा कि जो जितना ज्यादा कोयला आयात करेगा, उसे मिश्रण के लिए उसी अनुपात में घरेलू कोयला उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने राज्यों व बिजली बनाने वाली इकाइयों को उन्हें आवंटित खदानों से भी खनन बढ़ाने को कहा।

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