| भीलवाड़ा Premkumar gadwal. जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष हरिनारायण सारस्वत, सदस्या विनती तापडिय़ा और सदस्य राजेंद्र जैन ने परिवादिया किरण बंसल के परिवाद को आंशिक रुप से स्वीकार करते हुये मैसर्स मंगलम बिल्ड डवलपर्स लिमिटेड, जरिये सुनिल कुमार स्वर्णकार, डी.जी. एम. एल.एण्ड.एल., 6 फलोर, एपेक्स मोल, लाल कोठी, टोंक रोड, जयपूर को आदेश दिया कि वह, 2 माह के भीतर डेढ़ लाख रुपये की बकाया राशि के साथ ही मानसिक संताप के 2 हजार रुपये व परिवाद व्यय के 8 हजार रुपये के साथ ही कुल 1 लाख 60 हजार रुपये परिवादी को अदा करे। आयोग सूत्रों के अनुसार, आरसी व्यास कॉलोनी जी सेक्टर निवासी किरण पत्नी बीआर बंसल ने मैसर्स मंगलम बिल्ड डवलपर्स लिमिटेड, जरिये सुनिल कुमार स्वर्णकार, डी.जी. एम. एल.एण्ड.एल., 6 फलोर, एपेक्स मोल, लाल कोठी, टोंक रोड, जयपूर के खिलाफ आयोग में परिवाद पेश किया था। किरण ने परिवाद में बताया कि मैसर्स मंगलम बिल्ड डवलपर्स लिमिटेड की एक योजना मंगलम प्लाजा हलेड रोड, भीलवाड़ा में एक फ्लैट नंबर 604 परिवादी के बेटे अरुण बंसल के नाम से बुक करवाया था। फ्लेट परिवादी के नाम अंतरित कर दिया गया और परिवादिया उक्त फ्लैट 604 की उपभोक्ता है । परिवादिया ने विपक्षी कंपनी के मंगलम प्लाजा में से फ्लैट नंबर 604 की प्रतिफल रूप उपयोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में 13,10,000/- रूपये अदा किए थे किंतु विपक्षी कंपनी की योजना में हो रही देरी और घटिया निर्माण को देखते हुए परिवादी ने उक्त फ्लैट को अन्य को अंतरित करना चाहा, जिस पर विपक्षी कंपनी ने परिवादी के उक्त फ्लैट को राजेंद्र जैन को अंतरित कर परिवादी की ओर से अदा किए गए 13,10,000 रूपये अतिशीघ्र परिवादी को लौटाने की बात कर परिवादी का फ्लैट राजेंद्र जैन को अंतरित कर दिया। इसके बाद विपक्षी कंपनी से बार-बार तकाजा करने और कई बार विपक्षी के कार्यालय जयपुर जाकर कहने पर भी 10 लाख10 हजार रूपये ही लौटाए गए । शेष राशि 3 लाख कई बार तकाजा करने के बावजूद नहीं लौटाये, जिस पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता के मार्फत 26 जून 2015 को उक्त बकाया राशि 3 लाख लौटाने के लिए एक पंजीकृत सूचना पत्र विपक्षी को प्रेषित कराया जिसके जवाब में विपक्षी ने एक जवाब पंजीकृत सूचना पत्र 8 जून 2015 को प्रेषित कर परिवादी द्वारा दिए गए नोटिस को आंशिक रूप से स्वीकार किया किंतु 3 लाख विपक्षी में बकाया होने की बात से इंकार कर दिया जिससे व्यथित होकर यह परिवाद पेश किया गया । आयोग ने इस परिवाद को सुनवाई के बाद आंशिक रूप से स्वीकार कर विपक्षी बिल्डर को आदेश दिया कि वह, परिवादी को बकाया 1 लाख 50 हजार रुपये 2 माह के भीतर अदा करे। इसके अलावा मानसिक संताप के रूप में 2 हजार रूपये तथा परिवाद व्यय के रूप में भी 8 हजार रूपये परिवादी को अदा करें। इस प्रकार कुल 1 लाख 60 हजार रुपये की राशि विपक्षी, परिवादी को 2 माह के भीतर अदा करें । | |
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