आज घरों और पंडालों में विराजेंगे गणपति, खरीदी प्रतिमाएं; इस साल बन रहा दुर्लभ संयोग
भीलवाड़ा(हलचल) आज से दस दिवसीय गणपति उत्सव का शुभारंभ हो चुका है। अपने-अपने घरों में लोग संपूर्ण विधि-विधान से पूजा-अर्चना के बाद प्रथम पूज्य गणपति को विराजमान कर रहे है। दस दिन तक अराधना के बाद अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमाओं का विधिपूर्वक विसर्जन किया जाएगा।बाजारों में मंगलवार यानी गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या से ही भक्तों व पूजा कमेटियों की ओर से गणपति जी की मूर्तियों को खरीदकर ले जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। इस वर्ष पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए लोगों ने मिट्टी से बनी मूर्तियों को खरीदना अधिक पसंद किया।बाजार में उपलब्ध दो फीट से लेकर 6 फीट तक की मूर्तियों की कीमत 250 रुपये से लेकर पांच हजार रुपये तक थी। अभिषेक ने बताया कि हम लोग प्रतिवर्ष सात दिनों तक अपने घर में गणपति जी की स्थापना करते हैं। इन दिनों में परिवार के लोग नियमित रूप से गणेश जी की अराधना करते हैं। आरती के बाद हम भगवान को मोदक का भोग लगाते हैं।बाद ढोल-नगाड़ों, गणपति बप्पा मोरया के नारों के साथ प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर एक ऐसा दुर्लभ संयोग बनने जा रहा है, जैसा भगवान गणेश के जन्मोत्सव के समय बना था। साथ ही ऐसा संयोग 10 साल पहले बना था।शास्त्रों के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दिन के समय हुआ था। साथ ही उस दिन बुधवार था। इस साल वो सारे योग-संयोग बन रहे हैं, जो गणेश जी के जन्म पर बने थे। दिन बुधवार, तिथि चतुर्थी, नक्षत्र चित्रा और मध्याह्न काल यानी दोपहर का समय। ये ही वो संयोग था जब पार्वती जी ने मिट्टी के गणेश बनाए थे और शिव जी ने उसमें प्राण डाले थे। इसके अलावा भी कुछ दुर्लभ और शुभ योग बन रहे हैं जो 31 अगस्त से 9 सितंबर तक गणेश उत्सव के दौरान रहेंगे। |
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