परिग्रह का परित्याग कर परिणामों को आत्मकेन्द्रित करना ही उत्तम आकिंचन्य धर्म - मुनि शुभम सागर

 

 भीलवाड़ाBHN. सुपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर हाऊसिंग बोर्ड शास्त्रीनगर में पर्यूषण के नवां दिन उत्तम आकिंचन्य धर्म पर बताते हुए मुनि शुभम सागर ने बताया कि किंचित मात्र भी मेरा ऐसा भाव उत्तम आकिंचन्य धर्म है। परिग्रह का परित्याग कर परिणामों को आत्मकेन्द्रित करना, कषायों और मिथ्यात्व के अभाव रूप होने से, हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील प्रवृतियॉ मोह-राग-द्वेष विकारी भाव परिग्रह, पर पदार्थ पर के लक्ष्य से आत्मा में उत्पन्न होने वाले मोह-राग-द्वेष के भाव आत्मा के नहीं है उनसे विरत होना, उन्हंे छोड़ना एवं अपने स्वरूप को पहचानने, मैं और मेरे पन का त्याग करना एवं पर पदार्थों, परिग्रहों के प्रति ममत्व भाव त्यागना उत्तम आकिंचन्य धर्म है। संसार के सारे परिग्रह मोक्ष का मार्ग प्रशस्त नहीं करते, अतः इनसे छुकारा पाकर आत्मा के वास्तविक रूप को समझ कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना चाहिये।
         मीडिया प्रभारी भागचन्द पाटनी ने बताया कि शांतिधारा एवं आरती का सौभाग्य पदमचंद, रविन्द्र काला परिवार व अनिल, कोमल, शशि, दिव्यांशी सेठी परिवार को मिला। आज प्रातः दशलक्षण मंडल विधान के अन्तर्गत उत्तम आकिंचन्य धर्म के अर्घ महापात्रांे द्वारा मण्डल विधान पर अर्पित गये।
         सचिव राजकुमार बड़जात्या ने बताया कि मुनि शुभम सागर के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र का वाचन, सामायिक, प्रतिक्रमण शास्त्र स्वाध्याय किया गया। सांयकाल की जिनेन्द्र-भगवान मंगल आरती मंगल दीपों के साथ महाआराधना की गयी। दशलक्षण पर्व पर 10 उपवास प्रियंका पाण्ड्या, निर्मला बज, एवं पदम्चन्द बगड़ा द्वारा साधना तप कर रहे है, इनके द्वारा 10 दिन तक समस्त प्रकार के आहार का त्याग कर उष्ण साधना की। इनके तप की समाज द्वारा अनन्त-अनन्त अनुमोदना की।  

कल होगी रिद्धि मंत्रों के साथ महामस्ताभिषेक सुपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर
         समिति के अध्यक्ष महावीर प्रसाद पाटनी ने बताया कि मुनि शुभम सागर एवं मुनि सक्षम सागर के सानिध्य में 108 रिद्धि मंत्रों के साथ महामस्ताभिषेक एवं शांतिधारा शुक्रवार 9 सितम्बर को प्रातः 6.15 बजे की जायेगी एवं दिन मंे 2.30 बजे कलशाभिषेक सांयकाल 1008 दीपकों के साथ महाआरती होगी।

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