एक ऐसा गांव जहां मुर्दे भी करते है मजदूरी, मनरेगा में सरकारी कार्मिको का अजूबा
जहाज़पुर दिनेश पत्रिया। जिंदा इंसान काम करता है। यह एक मानवीय प्रवृत्ति है, लेकिन मरने के बाद भी वह केवल एक दिन नहीं, बल्कि पूरे 25 दिन काम करता रहे, यह संभव नहीं है, लेकिन इस असंभव को सरकारी कार्मिकों ने संभव कर दिखाया। खास बात यह है कि जिस जिम्मेदार ने महिला का मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया, उसी ने महिला को जिंदा बताते हुए ओर 25 दिनों तक उसकी हाजऱी भरी और मौत के बाद काम करने वाली महिला का भुगतान भी उसी ने बंैक में जमा करवा कर यह अजूबा कर दिखाया। यह कारनामा जहाज़पुर की सबसे बड़ी पंचायत कही जाने वाली शक्करगढ़ से सामने आया है। जानकारी के अनुसार शक्करगढ़ के बालापुरा की रहने वाली सन्तोक पत्नी छीतर लाल रेगर की मौत 3 अप्रेल 2022 हो गई थी जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र ग्राम पंचायत के सचिव नरेन्द्र मीना ने 18 अप्रेल को जारी किया था । इसी पंचायत ने मनरेगा योजना के तहत चल रहे एक नही दो दो मस्टरोल में उसको काम पर होना बता दिया मृतक महिला एक नही बलिक मोत के बाद भी बीस दिन से आदिकसलसमय तक काम करती रही 3 अप्रेल को जिस महिला की मौत हुई वह महिला आखिर 1 मई तक काम करती रही इसी सचिव और सरपंच ने मस्टरोल कि हाज़ीरी प्रमाणित करते हुए मृतक महिला को भुगतान भी उसके बैंक खाते में दो मस्टरोल की मजदूरी राशि 5 हज़ार 746 रुपए का भुगतान कर दिया उक्त मृतक महिला 2 अप्रेल से 1 मई 22 तक दो मस्टरोल में काम करती रही जानकारी के अनुसार मृतक महिला को 2 अप्रेल को जारी मस्टरोल संक्या 71 व 17 अप्रेल को जारी मस्टरोल संक्या 1554 में 13- 13 काम करते हुए बताया गया और हर पखवाड़े का भुगतान उसके खाते में किया। बड़ा सवाल क्या घर पर बैठ कर भरी गई इतने दिनों तक हाजिऱी क्या कहते है जिम्मेदार 01. विकास अधिकारी संजय मोदी ने कहा उन्हें जानकारी पत्रकारों से मिली है जांच करवाता हु मामले की सही जांच कर दोषियों के विरुद्ध कारवाही की जाएगी 02. ग्राम विकास अधिकारी नरेंद्र मीणा का कहना है प्रधानमंत्री आवास योजना में मस्टररोल जारी किए थे भुगतान होने के बाद मोत की जानकारी हुई थी मृतका के परिजनों ने उक्त राशी वापिस राजकोष में जमा करवा दी है। |
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