उच्चतम न्यायालय ने समुद्री भाडे पर जीएसटी वसूली को किया खारिज


भीलवाडा ।  उच्चतम न्यायालय ने समुद्री भाडे पर आयातक से जीएसटी वसूली प्रकरण में केंद्र सरकार बनाम मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मुकदमे में मेवाड़ चेम्बर के पक्ष में आदेश पारित करते हुए समुद्री भाडे पर जीएसटी वसूली को पूर्णतया खारिज कर दिया है। चेम्बर की ओर से उच्चतम न्यायालय में एडवोकेट ऋषभ संचेती ने पैरवी की। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अंततः भारत सरकार की ओर से दायर अपील को खारिज कर दिया और संबंधित उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों की पुष्टि की।

मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री के मानद महासचिव आर के जैन ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे आयातकों को भाडे पर 5 प्रतिशत जीएसटी से राहत मिलेगी एवं पूर्व में चुकाये गये कर का रिफंड प्राप्त कर सकेगें। मेवाड़ चेम्बर की कई सदस्य इकाईयां कच्चे माल के रूप में पोलिस्टर एवं विस्कोस फाइबर, रुई, रंग-रसायन आदि आयात करते है, जिसके भाडे पर जीएसटी देना पड रहा था।

उन्होंने बताया कि माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर के 4 अगस्त 2021 के फैसले में मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की ओर से दाखिल याचिका पर निर्णय देते हुए ’’जीएसटी कानून के तहत भारतीय आयातक द्वारा आयात किये गये माल पर चुकाये गये समुद्री भाडे पर जीएसटी की वसूली के कानून संगत नहीं बताया था। उक्त फैसल के अनुसार सरकार समुद्री भाडे पर आयातक से जीएसटी वसूल नहीं कर सकती है। जोधपुर के एडवोकेट शरद यादव ने मेवाड़ चेम्बर के पक्ष में पैरवी की थी। माननीय उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

जैन ने बताया कि पूर्व में केन्द्र सरकार ने नोटिफिकेशन नम्बर 10/2017 एवं नोटिफिकेशन नम्बर 8/2017 दिनांक 26.06.20217 से भारत में आयात किये गये माल पर चुकाये गये माल भाडे पर 5 प्रतिशत जीएसटी चुकाने की जिम्मेदारी आयातक पर डाली है।

इस प्रकरण में माननीय गुजरात उच्च न्यायालय ने मोहित मिनरल्स बनाम भारत सरकार प्रकरण में वर्ष 2020 के अपने फैसले में आयातको के पक्ष में निर्णय दिया था। इसी आधार पर मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने अपने सदस्यों की ओर से दिनांक 11 जून 2020 को माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी। माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय ने गुजरात उच्च न्यायालय के फैसले से सहमत होते हुए मेवाड़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री की याचिका को मंजूर करते हुए आयात किये गये माल के समुद्री भाडे पर जीएसटी वसूली को कानून सम्मत नहीं माना था।

 

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