13 करोड़ की क्षतिग्रस्त पुलिया की जांच शुरू, मुकदमा हुआ दर्ज

 


भीलवाड़ा (राजकुमार-सम्पत माली)। नगर विकास न्यास द्वारा 13 करोड़ रुपए की लागत से बनाई जा रही पालड़ी पुलिया के क्षतिग्रस्त हिस्से का एक बड़ा भाग हटा दिया गया है। वहीं शनिवार को पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। एफएसएल टीम ने सबूत भी जुटाए है। 
शुक्रवार सुबह इस पुलिया पर दो बड़े छेद मिलने के बाद हड़कम्प मचा था। इस संबंध में जिला कलक्टर के निर्देश पर मुकदमा दर्ज करवा दिया गया है । 
शनिवार को सुभाषनगर थाना प्रभारी नंदलाल रि‍णवा ने मुकदमा दर्ज होने के बाद पालड़ी पुलिया के क्षतिग्रस्त हिस्से का जायजा लिया। वहीं एफएसएल टीम ने मौके पर पहुंचकर वहां साक्ष्य भी जुटाए है और सीमेन्ट व कंक्रीट के नमून भी लिये है। इसी दौरान जहां पहले दो बड़े छेद थे वहां करीब पन्द्रह से बीस फीट के क्षतिग्रस्त हिस्से मजदूर लगाकर छीणी हथौड़ से सीमेंट हटा दी गई है। वहां काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि नगर विकास न्यास द्वारा उन्हें यहां काम पर लगाया है। इस बीच न्यास के निर्माण शाखा के अधिकारी जगदीश पल्सानिया ने बताया कि उन्होने कल रात अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ पुलिया पर तोडफ़ोड़ करने का मामला सुभाष नगर थाने में दर्ज कराया था। इसी रिपोर्ट पर आज वहां एफएसएल टीम ने जांच पड़ताल की है। उन्होंने यहां अभी किसी भी तरह के निर्माण से इन्कार किया है। 
भीलवाड़ा हलचल ने शुक्रवार को नगर विकास न्यास द्वारा बनवाई जा रही पुलिया पर दो बड़े छेद होने और एक डम्पर फंसने की खबर प्रसारित की थी। इसके बाद जिला कलक्टर आशीष मोदी ने इसे गंभीरता से लिया और मौका मुआयना करने के दौरान उन्होंने इस मामले में जांच कमेटी के गठन और मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिये। 
न्यास की विशेषाधिकारी रजनी माधीवाल ने जांच कमेटी का गठन कर दिया और पुलिस थाने में मामला दर्ज करवा दिया गया।  जानकारों की माने तो पुलिया का यह हिस्सा दरक गया था लेकिन अधिकारियों ने अपना और ठेकेदार का बचाव करते हुए जिला कलक्टर और मीडिया को जानकारी दी कि इसे अज्ञात लोगों ने तोड़ा है। लोगों का कहना है कि पुलिया पर जेसीबी या तोडऩे के अन्य उपकरण का उपयोग किया जाता तो तेज आवाज होती और पास ही अस्पताल है और वहां लोगों की आवक जावक रहती है। लेकिन किसी भी ने भी तोडफ़ोड़ की न आवाज सुनी और न किसी को देखा। 
मजदूरों ने आसानी से हटाई आरसीसी रोड :
जांच के लिए शनिवार को मजदूरों ने छीणी हथौड़े और गेंती से ही दो फिट के छेद को आसानी से कुछ समय में कर दिया जबकि जानकारों का मानना है कि आरसीसी इस तरह से नहीं टूटती। इसमें कहीं न कहीं कोई कमी रही है। वीडियो में भी देख सकते है कि मजदूर किस तरह से शेष आरसीसी को हटा रहे है जिसमें उन्हें ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ रही है। सीमेंट कंक्रीट हटाने के बाद करीब बीस फीट लम्बे और चार पांच फिट चौड़े स्लेब पर चारों ओर पत्थर रख दिये ताकि कोई घटना न हो। 

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