ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन समय बढ़ाने के सिविल जज के आदेश पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
वृंदावन के ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में दर्शन का बढ़ाने पर रोक संबंधी हाईकोर्ट का आदेश सेवायतों को देर रात मिल गया। यह आदेश हाईकोर्ट ने 28 नवंबर को जारी किया गया था। जिसमें सिविल जज जूनियर डिवीजन ने दर्शनों का समय बढ़ाने संबंधी प्रार्थना पत्र पर रोक लगा दी गई है। वहीं, सिविल जज जूनियर डिवीजन ने इस संबंध में दिए गए सभी प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई के लिए 14 दिसंबर की तारीख तय की है। ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर के सेवायत गोस्वामी हिमाशु गोस्वामी व दीपक शर्मा एडवोकेट ने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिविजन मथुरा द्वारा 14 नवंबर 2022 को मंदिर दर्शन का समय बढ़ाने के दिए आदेश पर स्टे लगा दिया है। उच्च न्यायालय ने रिटायर्ड जस्टिस सुधीर नारायण अग्रवाल को अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपने के लिए कहा है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में जिलाधिकारी मथुरा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मथुरा के प्रति नाराजगी जाहिर की है। 'परंपरागत सेवा चलती रहेगी' ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर के शयन भाग सेवाधिकारी सुमित गोस्वामी ने कहा कि बृहस्पतिवार को शयन भोग की सेवा में मैं भी मौजूद रहा। ठाकुर श्रीबांके बिहारी जी हमारे प्राणों से प्यारे हैं । हम उनकी परंपरागत जो सेवा चल रही है उसी को जारी रखेंगे। सेवायत आचार्य प्रहलाद बल्लभ गोस्वामी ने कहा कि यह भी लीलाधारी प्रभु श्री बांकेबिहारीजी महाराज की ही लीला है। ठाकुरजी के दर्शन पूर्व निर्धारित समयानुसार ही खुले। प्राचीन परंपराओं का पोषण अति आवश्यक है। यह दिया था आदेश सिविल जज जूनियर डिवीजन की न्यायाधीश ने ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज के दर्शनों का समय बढ़ा दिया था। इसमें ठाकुर जी के दर्शन 8 घंटे की बजाय लगभग 11 घंटे के लिए कर दिया गया है। इस आदेश का अनुपालन एक दिसंबर से होना था, लेकिन पुराने समय पर भी मंदिर के पट खुले। मंदिर में तीन प्रकार से है सेवा ठाकुर श्रीबांकेबिहारी मंदिर में शृंगार भोग, राजभोग और शयन भोग की तीन सेवाएं होती हैं। इसी के अनुसार मंदिर में प्रतिदिन 3 आरती होती हैं। मंदिर में सेवायतों को भी इसी प्रकार सेवा का वितरण किया जाता है। मंदिर में 6 महीने राजभोग सेवा करने वाले गोस्वामी शृंगार भोग की सेवा करते हैं। वहीं 6 महीने शयन भोग सेवा करने वाले शृंगार भोग की सेवा का अधिकार है। मंदिर प्रशासक/सिविल जज जूनियर डिवीजन के नए आदेश में शृंगार आरती के समय का उल्लेख न होने के कारण असमंजस और विरोध के स्वर उठ रहे हैं। |
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