चुनावों से पहले जा सकती है पूनिया की कुर्सी, भाजपा से मिला पदाधिकारियों को बदलने के संकेत
राजस्थान समेत कई राज्यों के चुनाव 2023 में होने हैं। इस वजह से यह वर्ष राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रहने वाला है। हर समय चुनावी मोड में रहने वाली पार्टी भाजपा भी साल की शुरुआत से ही चुनावी रणनीति और संगठन को चुनाव के लिहाज से मजबूत करने की कवायद में जुट चुकी है।
2018 में राजस्थान में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी। तब भाजपा के पास जादुई नंबर से 29 सीटें कम आई थी। टिकट वितरण को बेहतर करते तो शायद भाजपा अपनी सरकार को बचा सकती थी। संगठन मंत्री उस समय नए थे, लिहाजा उनके बजाय पार्टी के उस समय के अन्य कर्णधारों को अकर्मण्य साबित किया गया। इसके बाद भी संगठन मंत्री पार्टी को एकजुट रखने में नाकाम ही रहे हैं। इसका खामियाजा भाजपा को उपचुनावों में भुगतना पड़ा। केंद्र को फीडबैक देने वाले नेताओ ने भी केंद्रीय पदाधिकारियों को संगठन मंत्री और कार्यकर्ताओं के बीच बढ़ती दूरियों के विषय में निरंतर अवगत कराया है।
राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया का भी कार्यकाल पूरा हो चुका हैं। इसे लेकर भी भाजपा में चर्चा जोरों पर है कि बदलाव हो सकता है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में कार्यरत सतीश पूनिया भी पार्टी के नेताओं को एकजुट करने में विफल रहे। इसका जीवंत उदहारण भाजपा की रैलियां हैं, जहां अपेक्षा से कम भीड़ ही दिखी है।
भाजपा की जन आक्रोश यात्रा का शुभारंभ करने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद जयपुर पहुचे थे। उनकी सभा में खाली कुर्सियों ने सुर्खियां बटोरी थी। यह यात्रा भी फ्लॉप ही साबित हुई। इससे पहले प्रदेश अध्यक्ष पूनिया तो एक बार अकेले ही यात्रा पर निकल लिए थे। कुछ गिने-चुने साथी ही उनके साथ दिखाई दिए थे। |
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