गणगौर पूजन से सुख, समृद्धि और वैभव बढ़ता है- पंडित अरविंद दाधीच

 


भीलवाड़ा (हलचल) ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद दाधीच ने बताया गणगौर का महत्व गणगौर जो है चैत्र माह शुक्ल पक्ष में तृतीय तिथि को मनाया जाता है ।गणगौर शब्द (गण) और (गौर)से बना है जहाँ पूर्व शिव और बाद में गौरी को संदर्भित करता है। गणगौर त्यौहार मध्य और पश्चिमी भारत के विभिन्न हिस्सों, मुख्य रूप से राजस्थान में महिलाओं द्वारा गौरी की पूजा और प्रचार का प्रतीक है।
इस दिन कुँवारी लड़कियाँ एवं विवाहित महिलाएँ शिवजी (इसर जी) और पार्वती जी (गौरी) की पूजा करती हैं। पूजा करते हुए दूब से पानी के छींटे देते हुए "गोर गोर गोमती" गीत गाती हैं। इस दिन पूजन के समय रेणुका की गौर बनाकर उस पर महावर, सिन्दूर और चूड़ी चढ़ाने का विशेष प्रावधान है।
इस व्रत को करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. शिव और पार्वती पति को लंबी आयु देते हैं और रक्षा करते हैं.गणगौर पूजा के दिन माता पार्वती को जितना गहना अर्पित करते हैं, उतान ही घर में सुख, समृद्धि और वैभव बढ़ता है ।

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